सामाजिक मामलों के 3 प्रकरणों का आयोग ने किया निराकरण
महिला आयोग के नाम से फ्लैक्स टांगने वाली आवेदिका का प्रकरण जांच के लिए पुलिस को सौंपा गया
महासमुंद 6 अप्रैल 2023/ छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने आज जिला पंचायत के सभाकक्ष में महिलाओं से संबंधित शिकायतों के निराकरण के लिए जनसुनवाई की। इस मौके पर सदस्य डॉ. अनिता रावटे एवं जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती उषा पटेल, जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री समीर पांडेय सहित जिला प्रशासन के संबंधित अधिकारी थे।
छत्तीसगढ़ महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक की अध्यक्षता में आज 165 वीं जन सुनवाई हुई। आज की जनसुनवाई में कुल 38 प्रकरण सुनवाई हेतु रखे गये थे।
जन सुनवाई के दौरान दहेज प्रताड़ना के प्रकरण में दोनो पक्षो को सुना गया एवं समझाईश दिया गया तथा ‘सखी‘ सेंटर की कांउन्सलर श्रीमती जागेश्वरी सोनवानी ने कांउसिलिंग किया एवं दोनों पक्ष 15 दिन पश्चात एक साथ गांव में रहने को तैयार हुए। इस प्रकरण को श्रीमती रावटे को कहा गया कि दोनो पक्षों को एक साथ रहने की समझाईश दें और उनके समक्ष सखी सेंटर की कांउन्सलर श्रीमती जागेश्वरी सोनवानी को स्टाम्प पेपर में दोनो पक्षों की शर्तों को लिख कर एक वर्ष तक निगरानी करने के निर्देश दिए गए।
इसी प्रकार एक अन्य मानसिक प्रताड़ना के प्रकरण में दोनो पक्षो को सुना गया। आवेदिका का कथन है कि नया मकान बनाने के लिये वर्ष 2010 में अनावेदक पक्ष को आवेदिका को 35 लाख रू देना था। जिसमें से आवेदिका को वर्ष 2010 में 25 लाख रू मिल गया है, 10 लाख रू नहीं मिला है। उक्त राशि 10 लाख रू न्यूनतम बैंक ब्याज की राशि के साथ आवेदिका द्वारा मांग की गयी है। अनावेदक 10 लाख रू अवेदिका को देने को तैयार है। दोनो पक्षो को समझााईश देने के पश्चात अनावेदक गण मकान के कब्जे के बदले आवेदिका पक्ष को 15 लाख रू देगें। इस मामले में थाना प्रभारी पिथौरा एवं सदस्य श्रीमती अनिता रावटे के समक्ष में दो पक्ष एक माह के अंदर 15 लाख रूपये देने और लेने की तिथि थाना प्रभारी पिथौरा को अवगत कराते हुए पैसे एवं कब्जे का आदान-प्रदान करेंगें एवं आवेदिका की सामग्री को भी दिलवायेगें।
एक अन्य सामाजिक बहिष्कार के मामले में उभय पक्ष उपस्थित रहे। अनावेदक पक्ष के द्वारा बताया गया कि उनके द्वारा कभी भी आवेदिका पक्ष पर कभी भी कोई रोक नहीं लगाई गई एवं गांव में सभी को उनके साथ सामान्य व्यवहार करने के लिये पूरी छूट है। आवेदिका पक्ष के द्वारा बताया गया कि उनके द्वारा 35 हजार रू कुमार साहू को दिया गया था एवं कुमार साहू द्वारा गांव में दिया गया है। आवेदन में कुमार साहू का उल्लेख नहीं किया गया हैं इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है। अनावेदक गण को निर्देश दिया गया कि आवेदिका पक्ष के साथ भविष्य में कोई भी सामाजिक बहिष्कार नहीं किया जावे यदि ऐसा नहीं किया जाता हैं तो आवेदिका पुनः आयोग में शिकायत कर सकती है।
एक अन्य मानसिक प्रताड़ना के प्रकरण में, उभय पक्ष उपस्थित रहे दोनों की चार बेटियां हैं जिसमें से 2 बेटियां आवेदक एवं 2 बेटियां अवेदिका के पास है। सुलह की कोई संभावना नहीं है। अनावेदक को 90 हजार रू वेतन मिलता है जिसमें से 25-30 हजार रू वह आवेदिका के बैंक खाते में जमा कराता है दोनो के बीच संबध विच्छेद का प्रकरण न्यायालय में चल रहा है। अतः कार्यवाही न्यायालयीन प्रकरण होने के कारण सूनवाई आयोग में नहीं किया जा सकता है।
एक अन्य प्रकरण में, उभय पक्ष उपस्थित रहे आवेदिका नेे सम्पत्ति में अपना नाम चढाये जाने हेतु अपना आवेदन प्रस्तुत किया था जिस पर पुलिस प्रतिवेदन प्राप्त हुया जिसके बारे में आवेदिका को समझाईश दिया गया एवं आवेदिका को पुलिस प्रतिवेदन की प्रतिलिपि दिया गया जिसमें यह दर्शाया गया है कि आवेदिका का नाम राजस्व अभिलेख में चढ़ा दिया गया है एवं वह पुलिस प्रतिवेदन की सत्यता जांच कर सके एवं असत्य पाये जाने पर वह मा. श्रीमती अनिता रावटे, सदस्य महिला आयोग को जानकारी दे सकती है।
इसी प्रकार पारिवारिक विवाद के प्रकरण में उभय पक्ष उपस्थित रहे अवेदिका ने अनावेदक के विरूद्ध शिकायत दर्ज कराई गई की उसकी बुढ़ी सास के द्वारा बचाने की आवाज आई थी, आवेदिका द्वारा बचाने जाने पर उसकी अनावेदक के साथ झडप हो गई। अवेदिका की सास द्वारा कहा गया की वह अपने छोटे बेटे साथ रहना चाहती है जो अनावेदक हैं। दोनो पक्षो को समझाईश दी गई की भविष्य में अनावश्यक विवाद ना करें। पुनरावृत्ति होने पद आवेदिका पुलिस थाने जाकर एफ.आई.आर दर्ज करा सकती है।
एक अन्य मानसिक प्रताडना के प्रकरण में, उभय पक्ष उपस्थित रहे अनावेदक गण का कहना है कि आवेदिका को समाज से अलग करने की कोई आवश्यकता नहीं हैं क्यो की आवेदिका समाज की ही है। उन्होने ग्राम समाज को निर्देशित किया गया हैं की ग्राम स्तर पर कार्यक्रमो में शामिल किया जावे। चूंकि अवेदिका बसना में रहतीं है। एवं आवेदिका इस पर अनावेदक गणों का कोई आपत्ति नहीं हैं उन्होने स्वीकार किया है। कि आवेदिका पर सामाजिक रोक नहीं लगाई गई है एवं न लगाई जावेगीं। आवेदिका गांव में रहें एवं सभी कार्यक्रमो में उपस्थित रहे आवेदिका चाहे तो इस आर्डर शीट की प्रति लिपि प्राप्त कर ग्राम समाज में दिखा सकती है। इससे उसके समाज में आने जाने पर कोई भी प्रतिबंध नहीं लगाया गया है।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका अनुपस्थित अनावेदक उपस्थित एवं अनावेदक आशीष शर्मा द्वारा आवेदन किया गया कि आवेदिका द्वारा घर के समक्ष फ्लैक्स टांगा गया हे प्रकरण महिला आयोग में चल रहा है, उधार के लेन देन के लिये वहीं संपर्क करें। यह फोटो और लेख पूर्णतः आपत्तिजनक होने के कारण डीएसपी गरिमा दादर को जांच के लिये भेजा जाता हैं एंव उक्त फ्लेक्स उतरवाकर आवेदिका को दिनांक 11 अप्रैल 2023 को अनिवार्यतः आयोग के समक्ष उपस्थिति हेतु निर्देशित किया गया।
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