गौ सेवार्थ गौ कथा
जय गौ माता कवर्धा नगर के पावन धरा में वृंदावन से पधारे कथा व्यास श्री अजय महाराज जी के द्वारा गौ माता कि सत्ता, महत्ता आवश्यकता एवं उनके पंचगव्यों के महत्व को समझने, स्वीकारने, आत्मसात करने तथा जीवन में उपयोग में लाने हेतु एवं गौ रक्षा हेतु संकल्प आदि को लेकर गौ कथा २ से ४ अप्रैल को संपन्न हुआ गौ कथावाचक वृंदावन से पधारे पूज्य महाराज श्री अजय जी महाराज के मुखारविंद से नगरवासियों गौ प्रेमियों व गौ सेवकों ने गौ कथा का श्रवण किया तीन दिवसीय इस दिव्य आयोजन में पूज्य महाराज जी द्वारा गौ माता कि उत्पत्ति व विभिन्न शास्त्र पुराणों में उल्लेख गौ माता के सर्वोपरि महत्व आदि का वर्णन किया गया गायो से उत्पन्न दूध, दही, घी, गोबर, मूत्र और रोचना-ये छ: अङ्ग (गोषडङ्ग) अत्यन्त पवित्र हैं और प्राणियोंके सभी पापों को नष्ट कर उन्हें शुद्ध करने वाले हैं। श्री सम्पन्न बिल्व वृक्ष गौओ के गोबर से ही उतपन्न हुआ है। यह भगवान् शिवजी को अत्यन्त प्रिय है। चूँकि उस वृक्ष में पद्महस्ता भगवती लक्ष्मी साक्षात् निवास करती हैं, इसीलिये इसे श्री वृक्ष भी कहा गया है। बाद में नीलकमल एवं रक्तकमलके बीज भी गोबरसे ही उत्पन्न हुए थे। गौओ के मस्तक से उत्पन्न परम पवित्र गोरोचना है समस्त अभीष्टो की सिद्धि करनेवाली तथा परम मङ्गलदायिनी है। इस प्रकार बहुत से दिव्य प्रसंगों का पूज्य महाराज जी द्वारा और विभिन्न से प्रसंगों को रखा गया। कथा करवाने का उद्देश यही रहा है कि हमारे मानव समाज में गौ का धार्मिक, आर्थिक, वैद्यकीय आदी महत्त्व क्या है, यह हम सब जाने व गौ माता का संरक्षण हो, उसका सही तरीके से पालन हो व गाय की सेवा हो।
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