अतीक के बेटे असद अहमद के एनकाउंटर के बाद योगी आदित्यनाथ के शासन में एनकाउंटर में मारे गए कुल मुजरिमों की संख्या 183 हो गयी है. यूपी में पिछले 6 सालों में कुल 9,434 से ज्यादा मुठभेड़ें हुई हैं.अतीक अहमद के 19 साल के बेटे असद अहमद का गुरुवार को एनकाउंटर हो गया. 24 फरवरी को हुई उमेश पाल की हत्या के बाद ये तीसरा एनकाउंटर है. पहले एनकाउंटर में 27 फरवरी को हत्याकांड में शामिल अरबाज मारा गया. 6 मार्च को हत्याकांड में शामिल शूटर उस्मान को मार गिराया गया. 13 अप्रैल को अतीक का बेटा असद और शूटर गुलाम को एनकाउंटर में ढेर कर दिया गया. योगी आदित्यनाथ के 6 साल के कार्यकाल में अबतक एनकाउंटर में मारे गए अपराधियों की कुल संख्या अब 183 हो गयी है.
उस दौरान सीएम योगी का ये बयान काफी चर्चा में रहा था. जनवरी 2022 के विधानसभा चुनावों के दौरान शामली में एक सार्वजनिक रैली में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने कहा था कि राज्य में असुरक्षा, दंगा भड़काने और माफियाओं की गर्मी 10 मार्च के बाद शांत करवा देंगे.वहीं योगी आदित्यनाथ ने उमेश पाल की हत्या के बाद सदन में ये कहा था कि माफियाओं को मिट्टी में मिला देंगे.
रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश सरकार ने गुरुवार को जानकारी दी कि पिछले छह सालों में राज्य में पुलिस और अपराधियों के बीच 9,434 से ज्यादा मुठभेड़ें हुई हैं, जिसमें 183 अपराधी जान से मारे गए हैं. 5,046 अपराधियों को गिरफ्तार किया जा चुका है. आधिकारिक आंकड़ों में यह भी कहा गया है कि पिछले छह सालों में इस तरह के अभियानों के दौरान 13 पुलिसकर्मी शहीद हुए और 1,443 पुलिसकर्मी घायल हुए.
आदित्यनाथ के शासन में हुए एनकाउंटर पर एक नजर
2017 के बाद से मेरठ में सबसे ज्यादा एनकाउंटर हुए, जिसमें 63 अपराधी मारे गए और 1708 अपराधी घायल हुए. इसी दौरान पुलिस मुठभेड़ के दौरान एक पुलिसकर्मी भी शहीद हो गया, जबकि 401 पुलिसकर्मी घायल हो गये. यूपी पुलिस ने कार्रवाई के दौरान कुल 5,967 अपराधियों को पकड़ा.
आगरा पुलिस ने 2017 के बाद 1844 मुठभेड़ों को अंजाम दिया. इन मुठभेड़ों में 4654 अपराधी गिरफ्तार कर लिए गए. वहीं 14 खूंखार अपराधी मारे गए. 55 पुलिस वाले घायल हुए.
बरेली में 2017 के बाद से 1497 मुठभेड़ें हुई. इन मुठभेड़ों में 3410 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया. 7 अपराधियों की मौत हो गई. बरेली में मुठभेड़ के दौरान 437 अपराधी घायल हुए. इन अभियानों में 296 पुलिसकर्मी घायल हुए. 1 पुलिसकर्मी शहीद हो गया.
जानिए यूपी में हुईं 5 बड़ी पुलिस मुठभेड़
असद अहमद का एनकाउंटर: यूपी एसटीएफ के मुताबिक माफिया से नेता बने अतीक अहमद के बेटे असद और मकसूदन के बेटे गुलाम उमेश पाल हत्याकांड में शामिल थे. दोनों पर 5-5 लाख रूपए का इनाम था. गुरुवार को झांसी में यूपीएसटीएफ की टीम के साथ मुठभेड़ में दोनों मारे गए. एसटीएफ ने मीडिया को ये जानकारी दी कि इन दोनों के पास से विदेशी हथियार भी बरामद किए गए.
विकास दुबे एनकाउंटर : 10 जुलाई 2020 को उत्तर प्रदेश का हिस्ट्री शीटर और कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे एनकाउंटर में मारा गया. विकास दुबे पर कानपुर सहित पुरे प्रदेश में हत्या, डकैती और अपहरण के 60 से ज्यादा मामले दर्ज थे.
3 जुलाई 2020 को उत्तरप्रदेश पुलिस को जानकारी मिली कि विकास दुबे कानपुर के बिकरुगांव में छिपा हुआ है. पुलिस विकास दुबे को पकड़ने गई और मुठभेड़ में पुलिस के 8 जवान शहीद हो गए. इस अफरा-तफरी में विकास दुबे फरार हो गया.
9 जुलाई 2020 को यूपी पुलिस ने मध्य प्रदेश के उज्जैन में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में विकास दुबे पकड़ा. 10 जुलाई की शाम को यूपी वापस आते समय कानपुर के पास उसकी कार पलट गई और उसने भागने की कोशिश की, जिसके बाद पुलिस ने उसका एनकाउंटर कर दिया.
डकैत सुनील सिंह एनकाउंटर: 18 अगस्त 2001 को डकैत सुनील सिंह ने अपने साथियों के साथ मिलकर गोंडा जिले के थाना कोतवाली नगर क्षेत्र के एक घर में डाका डाला. डकैती में घर के सभी 14 सदस्यों को गंभीर रूप से घायल कर दिया गया.
2 बच्चों समेत 5 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी. इसके बाद 19 दिसंबर 2006 को सुनील सिंह ने अलीगढ के छर्रा क्षेत्र में घर में घुस कर 2 लोगो की हत्या करके डकैती डाली थी. 2014 में सुनील सिंह ने बुलंदशहर के 2 अलग- अलग जगहों पर मारपीट और लूटपाट को अंजाम दिया.
20 फरवरी 2023 को बुलंदशहर में यूपी एसटीएफ की नोएडा यूनिट और यूपी पुलिस की डकैत सुनील सिंह के साथ मुठभेड़ हुई. मुठभेड़ में पुलिस ने गोली चलाई. सुनील सिंह घायल हो गया. पुलिस डाकू सुनील सिंह को इलाज के लिए अस्पताल ले गई. डॉक्टरों ने उसे मरा हुआ घोषित कर दिया .
पुष्पेंद्र यादव एनकाउंटर: मीडिया रिपोरट्स के मुताबिक झांसी पुलिस का ये कहना था कि 9 अक्टूबर 2019 की रात पुष्पेंद्र यादव बालू का खनन कर रहा था. इस दौरान मोंठ के थानाध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह चौहान की और पुष्पेंद्र यादव की कहासुनी हुई.
कहासुनी में पुष्पेंद्र ने थानाध्यक्ष पर गोली चला दी और उनकी कार भी लूट ली थी. इस हमले के बाद इंस्पेक्टर धर्मेंद्र के चेहरे पर फायर बर्न के निशान मिले थे और उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. पुलिस ने उसी रात नाकेबंदी कर पुष्पेंद्र को गुरसरांय थाना इलाके में फरीदा के पास मुठभेड़ में मार गिराया.
भारत में कब-कब एनकाउंटर पर राजनीति हुई
विकास दुबे एनकाउंटर
- विकास दुबे कानपुर के बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या का आरोपी था.
- विकास दुबे पर 5 लाख का इनाम था.
- 2-3 जुलाई 2020 को कानपुर के बिकरू गांव में पुलिस टीम पर गैंगस्टर विकास दुबे और उसके गुर्गों ने फायरिंग की.
- इस घटना में आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए.
- 9 जुलाई 2020 को महाकाल मंदिर उज्जैन में विकास दुबे की गिरफ्तारी हुई
- उज्जैन से कानपुर लाते समय विकास दुबे ने भागने की कोशिश की.
- 10 जुलाई 2020 को विकास दुबे एनकाउंटर में मारा गया
- विकास दुबे पर 60 से ज्यादा मुकदमे दर्ज थे.
राजनीति- विकास दुबे के एनकाउंटर पर कई राजनीतिक दलों ने सवाल उठाए थे. कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने एनकाउंटर के तरीकों पर सवाल उठाए. बसपा प्रमुख मायावती ने इस पूरे मामले की सुप्रीम कोर्ट की जांच की भी अपील की है.
हैदराबाद एनकाउंटर
- 26 नवंबर 2019 की रात हैदराबाद में 27 साल की एक वेटनरी डॉक्टर की बलात्कार के बाद हत्या की गई थी.
- 6 दिसंबर को पुलिस चारों आरोपियों को पकड़ने की कोशिश कर रही थी.
- आरोपियों ने अधिकारियों से पिस्तौल छीन ली और फायरिंग करते हुए भागने लगे.
- पुलिस ने भी फायरिंग की और चारों आरोपियों को संदिग्ध एनकाउंटर में मार गिराया गया.
राजनीति- एनकाउंटर पर कई तरह के सवाल उठे. एनकाउंटर के कुछ दिनों बाद सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व जज जस्टिस वी एस सिरपुरकर की अध्यक्षता में जांच आयोग बना था. मई 2022 में एनकाउंटर को सुप्रीम कोर्ट के जांच आयोग ने फर्जी बताया था. पुलिसकर्मी को दोषी करार दिया गया.
आनंद पाल एनकाउंटर
- 2017 में राजस्थान के 5 लाख के इनामी गैंगस्टर आनंद पाल का एनकाउंटर किया गया था.
- राजस्थान के सालासर में एनकाउंटर के दौरान उसे मार गिराया गया.
- मुठभेड़ के दौरान आनंदपाल और उसके दो साथियों ने एके 47 समेत दूसरे हथियारों से पुलिस पर करीब 100 राउंड फायरिंग की थी.
- आनंदपाल को भी 6 गोलियां लगी.
- इस मुठभेड़ में दो पुलिसकर्मी भी घायल हो गए थे, एनकाउंटर से डेढ़ साल पहले गैंगस्टर आनंदपाल सिंह पुलिस की कड़ी सुरक्षा के बीच भाग निकला था.
- पुलिस विभाग के आंकड़ों के मुताबिक आनंदपाल को पकड़ने में 8 से 9 करोड़ रुपए खर्च हो चुके थे.
- आनंदपाल पर मारपीट, मर्डर, अपहरण, डकैती, लूट जैसे 40 से ज्यादा केस दर्ज थे.
राजनीति- आनंद पाल एनकाउंटर पर राजनीति भी हुई. एनकाउंटर को फर्जी बताकर सीबीआई जांच की मांग की गई. परिवार और कई नेताओं ने इसे राजपूत समाज की अस्मिता पर हमला बताया.
इशरत जहां एनकाउंटर
- 2004 में हुए एनकाउंटर में गुजरात पुलिस ने इशरत जहां उसके दोस्त प्रनेश पिल्लई उर्फ जावेद शेख और दो पाकिस्तानी नागरिकों अमजदाली राना और जीशान जोहर को आतंकी बताते हुए ढेर कर दिया था.
- इशरत जहां केस में पूर्व आईपीएस अधिकारी डीजी वंजारा, पूर्व एसपी एनके अमीन, पूर्व डीएसपी तरुण बरोट समेत 7 लोगों को आरोपी बनाया गया था.
- बाद में पूर्व डीजीपी पीपीपी पांडेय को सीबीआई अदालत ने इस मामले में आरोप मुक्त कर दिया था.
राजनीति – इशरत जहां एनकाउंटर के समय केंद्र में यूपीए सरकार थी. गुजरात की मोदी सरकार पर एक धर्म विशेष के लोगों को टारगेट करने का आरोप लगाया गया. एनकाउंटर को फर्जी भी बताया गया था.
सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर
- 26 मार्च 2003 को गुजरात के गृह मंत्री हरेन पंड्या की गोली मारकर हत्या हुई थी.
- हत्या और उसकी साजिश रचने का आरोप सोहराबुद्दीन शेख पर था.
- इस घटना के बाद से वह फरार था. जबकि उसका साथी तुलसी प्रजापति पकड़ा गया था.
- 2005 में अहमदाबाद में राजस्थान और गुजरात पुलिस ने संयुक्त ऑपरेशन करके सोहराबुद्दीन शेख को मार गिराया था.
राजनीति – मामले में अमित शाह आरोपियों में शामिल थे. हालांकि, उन्हें सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा 2014 में आरोपमुक्त कर दिया गया था. शाह इन घटनाओं के वक्त गुजरात के गृह मंत्री थे, मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष के करीब 92 गवाह मुकर गए. 2014 के बाद लगभग सभी आरोपी बच गए.
बटला हाउस एनकाउंटर
- 13 सितंबर 2008 को दिल्ली के करोल बाग, कनॉट प्लेस, इंडिया गेट और ग्रेटर कैलाश में हुए सीरियल बम ब्लास्ट से पूरा देश दहल गया था.
- दिल्ली पुलिस ने जांच के बाद बम ब्लास्ट के लिए आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन को दोषी माना था.
- 19 सितंबर 2008 को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा के नेतृत्व में बटला हाउस पहुंचे.
- वहां दोनों तरफ से फायरिंग हुई. इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा को दो गोलियां लगी थी.
- दो आरोपी आरिज और शहजाद दूसरे गेट से निकल कर भागने में कामयाब रहे.
- गोलियां लगने से आरोपी आतिफ अमीन और साजिद की मौत हो गई.
- एक और आरोपी ज़ीशान को गिरफ्तार कर लिया गया.
- मुठभेड़ के दौरान स्थानीय लोगों की गिरफ्तारी हुई.
राजनीति – एनकाउंटर के बाद दिग्विजय सिंह जैसे नेताओं ने दिल्ली पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाये थे. आजमगढ़ में एक रैली को संबोधित करते वक्त तत्कालीन कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने दिल्ली के बटला हाउस एनकाउंटर का जिक्र करते हुए कहा था, ‘जब उन्होंने इसकी तस्वीरें सोनिया गांधी को दिखाई तब उनकी आंखों में आंसू आ गए और उन्होंने पीएम से बात करने की सलाह दी थी.’ समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस जैसे कई राजनीतिक संगठनों ने संसद में मुठभेड़ की न्यायिक जांच करने की मांग उठाई थी.
दारा सिंह एनकाउंटर
- जयपुर के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप ने 23 अक्टूबर 2006 को दारा सिंह का एनकाउंटर किया था.
- दारा सिंह उर्फ दारिया राजस्थान के चुरू का रहने वाला था.
- उसके खिलाफ अपहरण, हत्या, लूट, शराब तस्करी और अवैध वसूली से जुड़े करीब 50 मामले दर्ज थे.
- इस एनकाउंटर से कई नेताओं के नाम जुड़े थे.
- एनकाउंटर से 5 दिन पहले पुलिस ने उस पर 25 हजार रुपए का इनाम भी घोषित किया था.
अदालत ने मंत्री राजेन्द्र राठौड़, तत्कालीन एडीजी ए के जैन, एसपी ए पौन्नुचामी सहित सभी 17 आरोपियों के खिलाफ किए गए इस केस को राजनैतिक दबाव के चलते बनाया गया केस बताया था.
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