भारत के चंद्रयान-3 मिशन ने चंद्रमा पर उतरने के अभियान में उस वक्त एक बड़ी छलांग लगाई, जब अंतरिक्ष यान का ‘विक्रम’ लैंडर मॉड्यूल सफलतापूर्वक चंद्रमा से अलग हो गया। प्रणोदन मॉड्यूल गुरुवार 17 अगस्त को, एक महत्वपूर्ण डीबूस्टिंग प्रक्रिया से गुजरा और थोड़ी निचली कक्षा में उतर गया। चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर का नाम विक्रम साराभाई (1919-1971) के नाम पर रखा गया है, जिन्हें व्यापक रूप से भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक माना जाता है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा 14 जुलाई को इस अंतरिक्ष यान को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था। अंतरिक्ष यान के प्रक्षेपण के लिए एक जीएसएलवी मार्क 3 (एलवीएम 3) हेवी-लिफ्ट लॉन्च वाहन का उपयोग किया गया था। चंद्रयान -3 घटकों में विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक और मैकेनिकल उपप्रणालियाँ शामिल हैं जिनका उद्देश्य सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग सुनिश्चित करना शामिल है। भारत के तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-3 के मुख्य उद्देश्यों में इसकी सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग, चंद्रमा की सतह पर रोवर का घूमना और वहां पर तमाम वैज्ञानिक प्रयोग करना और आंकड़े जुटाना शामिल हैं। चंद्रयान-3 की स्वीकृत लागत 250 करोड़ रुपये (प्रक्षेपण वाहन लागत को छोड़कर) है।
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