कम संक्रामक पाया गया कोरोना का पिरोला वेरिएंट, अलग-अलग प्रयोगशालाओं में हुआ अध्ययन

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अमेरिका की प्रयोगशालाओं में कोरोना का नया पिरोला वेरिएंट कम संक्रामक पाया गया है। हाल ही में सामने आए बीए.2.86 वेरिएंट के कई अमेरिकी राज्यों में शोध हुए हैं और सबके नतीजे लगभग एक जैसे ही सामने आए हैं। बीए.2.86 को पिरोला भी कहा जाता है। अध्ययनों में पता चला है कि हमारी प्रतिरक्षा प्रणालियां पिरोला वेरिएंट को पहचान सकती हैं और उससे लड़ भी सकती हैं।

वैज्ञानिकों का कहना है कि जन स्वास्थ्य के लिहाज से कोरोना के सभी वेरिएंट घातक हैं लेकिन इनमें से कई ऐसे हैं जो ज्यादा तेजी से फैलते हैं और लोगों को गंभीर रुप से बीमार कर देते हैं जबकि कुछ ऐसे भी हैं, जिनसे संक्रमित होने के बाद हल्के लक्षण नजर आते हैं। कुछ ही समय पहले दुनिया में बीए.2.86 वेरिएंट पाया गया जिसकी जांच से पता चला है कि यह कम संक्रामक है। इससे कहीं अधिक संक्रामक कोरोना के एक्सबीबी परिवार से जुड़े वेरिएंट हैं।

भारत में अभी स्थिति नियंत्रित
कोविड टास्क फोर्स के सदस्य डॉ. राजीव जयदेवन का कहना है कि विश्व स्तर पर कोरोना वायरस के लगातार नए वेरिएंट सामने आ रहे हैं। भारत की मौजूदा स्थिति काफी नियंत्रित है। हालांकि नए वेरिएंट और विदेशों से आवागमन पर हमारी निगरानी कमजोर नहीं पड़नी चाहिए। सरकार खासतौर पर प्रशासन को इसे गंभीरता से लेने की आवश्यकता है।

चीन-स्वीडन में भी ऐसे ही परिणाम
पिरोला वेरिएंट को लेकर अमेरिका के अलावा चीन और स्वीडन के वैज्ञानिकों के शोध के नतीजे भी अमेरिका जैसे ही मिले हैं। पिरोला वेरिएंट को अभी तक का काफी घातक वेरिएंट माना जा रहा था लेकिन तब साक्ष्य भी नहीं थे और विश्व स्वास्थ्य संगठन भी इसकी जांच में लगा हुआ था। अब अलग-अलग देशों ने घरेलु स्तर पर इस वेरिएंट की जांच शुरू की है जिसके परिणाम सामने आने लगे हैं।

डॉ. डैन बोले, यह खतरनाक नहीं
अमेरिका के बेथ इस्राइल डेकोनेस मेडिकल सेंटर के सेंटर फॉर वायरोलॉजी एंड वैक्सीन रिसर्च के निदेशक डॉ. डैन बारोच ने कहा, दो स्वतंत्र प्रयोगशालाओं ने शोध में दिखाया है कि बीए.2.86 वर्तमान वेरिएंट की तुलना में अधिक प्रतिरक्षा से बच नहीं सकता है। यह खतरनाक नहीं है।

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