जल्द बनेगा ब्रह्मानंद जी का कीर्ति स्तंभ, जगह मिली नहीं तो ले ली जाएगी – जगतगुरु शंकराचार्य
कबीरधाम। ज्योतिष पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी श्रीअविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज का कवर्धा आगमन हुआ है। प्रातः 9:16 पर शंकरा भवन में शंकराचार्य महाराज ने मीडिया कर्मियों से चर्चा की।
प्रेस वार्ता में शंकराचार्य महाराज ने कहा –
दीपावली का उत्सव सभी मना रहे हैं हमने यहां आकर भगवती की पूजा आराधना की। कवर्धा के प्रति हमारे मन में स्वाभाविक रूप से एक अलग लगाओ है व वह लगाओ कर्म स्वामी करपात्री जी महाराज हमारे पूज्य पाद गुरु जी महाराज ब्रह्मलीन स्वामी जी और दूसरे संतो के कारण भी हैं, जब हम यहां आते हैं लगता है किसी धर्मप्रण स्थान में आ गए हो। यहां के लोगों की आस्था, श्रद्धा और अन्य कहि भी प्रखर रूप में दिखाई नहीं देती है। यहां मन प्रसन्न होता हैं, तो इस बार भी आए हैं।
पहले के भारत और अब के भारत में बड़ा अंतर –
देखिए समस्या का मूल यही है भारत, पहले भारत था ‘था’ माने ब्रह्मविद्या उसमें जो रत देश हैं उसका नाम है भारत, अब समस्या यह हो गई कि भारत में ब्रह्म विद्या कि कहीं चर्चा नहीं है भगवान शंकराचार्य जी जब गुरुकुल में पढ़ने के लिए गए तो गुरुकुल के लोगों ने उनके सामने सिलेबस रखा, क्या पढ़ना चाहते हैं ? तो उन्होंने कहा कि गोल गोल घुमाने विद्या नहीं बल्कि मैं उस विद्या को पढ़ना चाहता हूं जिससे अमृत्व की प्राप्ति हो।
बात यह है जिसका जन्म होता है उसकी मृत्यु होती है ऐसा माना जाता हैं असल बात कुछ और ही है और वह यह है जिसको ज्ञान हो जाता है उसको पता चल जाता है कि ना मैं जन्मा और ना मैं मरूंगा, तो जन्म मृत्यु का विचार दूर हो जाता हैं। उस व्यक्ति को आत्मसाक्षात्कार हो जाता हैं। भारत में 4 पुरुषार्थ को स्थान तो दिया गया है धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष लेकिन उसमें भी मोक्ष को परम पुरुषार्थ माना गया और हमारे यहां के लोग वह संसार का व्यवहार करते हुए मोक्ष के लिए मार्ग प्रशस्त करते रहें। लोक से ज्यादा परलोक की उनको चिंता रहती थी और आज परलोक कि वह चिंता कमजोर हो रही है और लोक की चिंता होती हैं।
सिखाने वाला भारत अब खुद सीख रहा क्यों ?
ऐसी स्थिति में हम लोगों ने भी विचार किया हमारे पूज्य पाद गुरु जी ने भी विचार किया कि आखिर क्या कारण हैं। यह सब कुछ बदल रहा है भारत विश्व गुरु था अब गुरु तो दूर अब तो सब लोग सिखा रहे हैं। भारत कभी विश्व गुरु हुआ करता था वो अब जगत चेला बन चुका है। पहले अमेरिका व कनाडा से तो सीख रहे थे, लेकिन पाकिस्तान और बांग्लादेश से भी सीखने लगे हैं। भारत के नेता दूसरे देश में जाते हैं और कहते हैं यहां से हम कुछ सीख कर जाएंगे मतलब साफ है कि हम सीख रहे हैं किसी को सिखा नहीं रहे हैं।
जबकि हमारे यहां मनु महाराज ने हीं कहा पृथ्वी के सभी लोगों के लिए हमारे चरित्र भारत के व्यक्ति के चरित्र से शिक्षा मिलती थी, आज उल्टा हो गया। हमारे यहां गुरुकुल शिक्षा प्रणाली थी, उसको 1835 में लार्ड मैकाले नाम के विद्वान ने आ करके भारत में जब यहां पाश्चात्य कौरवात्य का विवाद खड़ा किया गया, तो उसने यह सुझाया ब्रिटिश गवर्नमेंट को कि अगर लंबे समय तक आपको भारत देश में राज करना है तो यहां की शिक्षा पद्धति को आपको तोड़ना होगा और अपनी शिक्षा पद्धति यहां लानी होगी फिर उन्होंने एक इंडियन एजुकेशन एक्ट 1835 बना दिया और वही एक्ट आज तक चल रहा हैं।
जल्द बच्चों के लिए गुरुकुल की होगी स्थापना –
गुरुकुल प्रणाली समाप्त हो गई अब बच्चों को पता नहीं कि हम जिस धर्म में हैं उसकी क्या विशेषता हैं, जिस संस्कृति में हम हैं वह संस्कृति कैसे आगे बढ़ती हैं और किस कारण से हम सिरमौर थे ? जगतगुरु जी महाराज के अंतिम समय में उनके मन में यही विचार प्रतिबल हो गया था कि गुरुकुल प्रणाली को पुनर्जीवित करना हैं उन्होंने हमको आदेश दिया बीते हुए माघ के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को उन्होंने ‘जगतगुरुकुलम’ नाम से एक संस्था की शुरुआत की और उन्होंने हमको आदेश दिया कि 10000 बच्चों का एक गुरुकुल खड़ा करें। एक ही परिसर में और उन बच्चों को नि:शुल्क भोजन, चिकित्सा, आवास व अध्यापन शुलभ कराकर के उनको भारतीय संस्कृति की शिक्षा दो। इससे क्या होगा हमने पूछा तो उन्होंने कहा कि गुरुकुल की शिक्षा जैसे ही पुनः जीवित होगी वैसे ही भारत फिर से भारत हो जाएगा और उसका पुराना गौरव लौट के आ जाएगा, तो हम यही प्रयास कर रहे हैं। हमने इसे अपना पहला काम बनाया है।
अब तक राष्ट्रीय ध्वज जैसा प्रोटोकॉल राष्ट्रीय नदी गंगा को नहीं मिला –
हिंदू राष्ट्र घोषित करने से क्या हो जाएगा हम आपको अनुभव के साथ बता रहे हैं। जब गंगा जी का आंदोलन हमने किया वह गंगा जी की अविरल निर्मल धारा के लिए बहुत बड़ा आंदोलन था वर्ष 2007 से शुरू करके 2012 तक आंदोलन चलाया और उसमें कई उपलब्धियां भी मिली। हम लोगों ने उसमें 5 मांग रखी थी, उसमें से एक मांग थी कि गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित किया जाएं। वह मांग बाद में पूरी भी हुई।
उसका उद्देश्य यह था कि भारत राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर यदि कोई एक जग गंदा पानी डाल दे तब वह शायद अरेस्ट हो जाए। आप लोग वीडियो चला दोगे तो तत्काल पुलिस उसको अरेस्ट करेगी कि राष्ट्रीय ध्वज का अपमान हुआ हैं हमारे मन में यह बात थी कि जैसे राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर कोई गंदा पानी नहीं डाल सकता वैसे ही अगर गंगा राष्ट्रीय नदी है तो सीवर खोलना बंद हो जाए। उस समय मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे। वही बैठक में हम लोगों ने उनसे यह मांग रखी थी। उन्होंने पूछा था कि आप लोग यह मांग क्यों रख रहे हैं? तो हमने कहा था कि गंगा जी का अपमान होना बंद हो जाएगा। हमारे आंदोलन के कारण उसमें एक बात यह भी मान ली गई और गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित कर दिया गया। हम लोग बहुत प्रसन्न हुए कि हमारा काम हो गया अब गंगा जब राष्ट्रीय नदी है तो राष्ट्रीय ध्वज का प्रोटोकॉल गंगा को मिलेगा देर सवेर से मिलेगा तत्काल तो नहीं हो सकता, लेकिन धीरे-धीरे उसी दिशा में आगे बढ़ जाएंगे थोड़े दिन मैं सब हो जाएगा गंगा में गंदगी नहीं जाएगी लेकिन आप देखिए 2008 में गंगा राष्ट्रीय नदी घोषित हुई। अब 2022 अंग्रेजी तिथि के अनुसार 14 साल हो गए गंगा को राष्ट्रीय नदी हुए लाखों लीटर मल जल आज भी गंगा की गोद में डाला जा रहा हैं।
हिंदू राज्य नहीं धर्म राज्य से सुखी होगी प्रजा –
हिंदू राज्य तो रावण और कंस का भी था। वह लोग हिंदू थे कोई ब्राह्मण था, कोई छत्रिय था, लेकिन उनके राज्य में प्रजा दुखी थी तो हिंदू राज्य से नहीं धर्म राज्य से जरूर प्रजा सुखी हो जाएगी। राम जी का जो राज्य है वह धर्म राज्य माना जाता है क्योंकि धर्म नियमों के अनुसार श्रीराम ने शासन किया। अगर रामराज्य लाया जाए तो प्रजा सुखी हो सकती है अन्यथा हिंदू राष्ट्र होने से कोई प्रजा सुखी नहीं हो सकती। ऐसी स्थिति में हिंदू राष्ट्र घोषित कर देने से क्या उपलब्धि हो जाएगी और हिंदू राष्ट्र तो है ही बहुमत से हमारा देश चलता है। 80% से अधिक आज भी यहां पर हिंदू हैं, तो यह तो हिंदुओं का राष्ट्र है इसमें उसको नाम दे चाहे ना दे नाम देने से नहीं होगा काम देने से होगा।
हमारे धर्म की शिक्षा जब प्रत्येक बालक को मिलेगी तब वह एक अच्छा नागरिक बनेगा तब वह समाज को ऊंचा उठाएगा इसलिए सबसे पहले आवश्यकता जो है, वह यह है कि संविधान की धारा 130 को समाप्त किया जाए, जिस धारा के कारण भारत देश का मुसलमान इस्लाम धर्म की शिक्षा अपने बच्चे को देता हैं। भारत का इसाई अपने ईसाई धर्म की शिक्षा अपने बच्चे को दे सकता है। स्कूल में इस तरह से दूसरे अल्पसंख्यक धर्म तथा तथाकथित कहे जाते हैं उनके अपने अनुयाई अपने विद्यालयों में अपने धर्म की शिक्षा दे सकते हैं लेकिन भारत का हिंदू अपने धर्म की शिक्षा भारत के स्कूल में धर्म की शिक्षा नहीं प्राप्त कर सकता, पहले तो उस धारा को समाप्त होना चाहिए और उसके बाद हमारे बच्चों को धर्म शिक्षा उपलब्ध होनी चाहिए। धर्म शिक्षा उपलब्ध होगी तो स्वाभाविक रूप से यह देश उन्नति कर जाएगा।
जल्द पुनः प्रारंभ होगा कवर्धा मंगलम कार्य –
कवर्धा मंगलम के बारे में हम पहले से ही कह चुके थे लेकिन गुरु जी की सेवा के कारण के आदेशों के कारण मौका ही नहीं लग रहा था, तो वह कार्य भी अब होने वाला है। अब भी हम चाहते थे कि चतुर्मास के ठीक बाद उस यात्रा को करें लेकिन फिर गुरुजी का शरीर पूरा हो गया।।उसके बाद उनके कार्यों में लग गए पीठों में जाना था, वहां सब गए। एक तरह से यह व्यस्तता का समय रहा। बरसात के समय में लोगों ने यह भी कहा इस समय घास बढ़ गई है। नदी किनारे चलना सबके लिए सुलभ भी नहीं होगा जीव जंतु भी परेशान होंगे, तो इसीलिए थोड़ा सा गर्मी आ जाए तो हम लोग उस कार्यक्रम का योजना बनाकर करेंगे और सकरी नदी जो है उसको नदी का रूप देने का विचार है केवल परिक्रमा से क्या होगा। असल में तो स्वच्छ जल का प्रवाह उसमें बहने लग जाना चाहिए ताकि कवर्धा के लोगों को स्वच्छ जल मिल सके तो वह प्रयास हमें करना है व वह संकल्पित है और जो यह कवर्धा मंगल कार्यक्रम है उसमें वह कवर हो जाएगा। क्योंकि कवर्धा में यदि कोई नदी है तो सकरी हैं। स्वच्छ प्रवाह उसमें होना चाहिए यह इसके अंतर्गत कार्यक्रम होगा।
केमिकल वाले दूध का बढ़ रहा कारोबार, गौ माता का रखना होगा ध्यान –
मार्केट में केमिकल वाला दूध आ गया है लैबोरेट्री में एक बूंद से थोड़े से केमिकल को डालकर 10 से 15 लीटर दूध तैयार किया जाएगा। बहुत बड़ी कंपनियों के द्वारा कार्य आरंभ कर दिया गया है, जो विश्व के स्वास्थ्य संगठन है उन्होंने भी उस को हरी झंडी दे दी है कि इससे स्वास्थ्य में बहुत क्षति नहीं होगी। इसलिए इसको स्वीकार किया जाए ऐसी परिस्थिति में वह जो बड़ी कंपनियां है वह पूरे विश्व में सबको दूधसप्लाई करना चाहती है। पहले पानी का मार्केट बनाया गया है पानी का मार्केट ही बहुत बड़ा है किसी छोटे देश के बजट से ज्यादा पानी की कंपनियों का बजट हो हैं। पानी अभी भी सब लोग खरीद के नहीं पी रहे लेकिन दूध ऐसी चीज है जो गरीब से गरीब आदमी भी अपने बच्चे के लिए बूढ़े के लिए खरीदता है दूध के द्वारा बहुत सी मिठाइयां और दूसरी चीज बनती हैं तो दूध की खपत बहुत है और प्रत्येक व्यक्ति ग्राहक है। इस बात को ध्यान में रखकर के बड़ी कंपनियां अब चाहती है कि उनके द्वारा केमिकल वाला जो दूध है लैबोरेट्री में बनाया गया दूध की आदत लोगों को लग जाए और उसी को पीने लगे।
लोग केमिकल वाला दूध खरीदे इसके लिए, दूध के दूसरे स्रोत हैं उन श्रोतों को समाप्त करना पड़ेगा तो उसमें से गाय भैंस वह भी एक स्रोत है तो अब यह क्या हो गया है उधर जो है कंपनियां ग्रो कर रही हैं और इधर ऐसी बीमारियां फैल जा रही है जिससे गायों की स्थितियां खराब हो रही है। कहीं ना कहीं दोनों में कोई संबंध है ऐसा कुछ विद्वान लोग इसमें देख रहे हैं और इस पर अभी भी हम लोग विचार कर रहे हैं, तो एक तो यह अपने को समझना है और दूसरा इस पर हम लोगों को सजग होने की आवश्यकता है कि हमारे साथ षड्यंत्र बहुत बड़ा हो रहा है। गाय से जो दूध मिल रहा है केमिकल वाले दूध में कितना भी वह कह दे पौष्टिक नहीं है। इससे हमारा शरीर विकृत होगा। कल को हमारे आने वाली पीढ़ी को हम जन्म दे रहे हैं वह अपंग हो मंदमती हो या इसी तरह दूसरी समस्याओं से जूझे इसीलिए गाय के जो प्रेमी हैं और जो भविष्य को देखने वाले लोग हैं उनसे हम कहना चाहेंगे कि आप अपनी गौ-माता को संभाल कर रखिए। यही आपकी पीढ़ियों को आगे लेकर जाएगी।
जल्द पूरी होगी कीर्ति स्तंभ की घोषणा –
यह जो घोषणाएं हैं कीर्ति स्तंभ की घोषणा, सकरी नदी के प्रवाह की बात या इसी तरह की दूसरी बातें। हमने कहा था हम स्वीकार करते हैं। हम भूले नहीं हैं यह भी हम आपको बताना चाहेंगे ऐसा होता है कि कुछ बातें आप देखेंगे कि उसमें हम लोग कुछ चीजें सम्मिलित कर रहे हैं, जो मैदान यहां पर था जहां पर ब्रह्मानंद जी महाराज का कीर्ति स्तंभ बनाने का हम लोगों ने विचार किया था उसके बारे में हमने चर्चा की उस समय अनिल ठाकुर जी आपके नगर पालिका अध्यक्ष थे। उनसे बार-बार कहा गया। उस समय वह नहीं हो पाया फिर उसके बाद दूसरे लोग आए अब अगर वह जगह नहीं मिलती है, तो यह बात थी ध्वजा वाली की वह जगह मिल जाए वहां नहीं तो फिर जगह प्राप्त करके हम लोग करेंगे तो अब हम लोग समझते हैं कि वह समय भी आ गया कि यहां पर उनकी कृति का स्तंभ बनेगा और सकरी नदी के किनारे-किनारे चल करके सकरी नदी के स्वास्थ्य को अच्छा करने के लिए हम लोग काम करेंगे। सचिवालय भी बनेगा धर्म राजधानी का स्वरूप यहां पर निकल के आए। यह सब चीजें सब मिली हुई है। कोई चीज ना हम भूले हैं और कहने के बाद उसको करना ही हमारा उद्देश्य हैं। पत्रकार वार्ता समापन पश्चात सभी प्रिंट , इलेक्ट्रॉनिक, वेब मीडिया के ब्यूरो प्रमुख, जिला प्रतिनिधि व संचालको को जगद्गुरु ने आशीर्वाद स्वरूप पट्टा व प्रसाद दिए।
जगतगुरु शंकराचार्य के दर्शन से नगर वासियों की दिवाली हुई दुगनी –
बताते चले दीपावली पर सुबह 10:30 बजे ज्योतिष्पीठाधीश्वर श्री जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री 1008 अविमुक्तेश्वरानंन्द जी महाराज वार्ड नं-1 के लोहारा स्थित स्वामी अविमुक्त नगर पहुंचे थे। प्रवेश द्वार पर मोहल्लावासियों द्वारा जगद्गुरु के पदार्पण पर बैंड बाजा, आतिशबाजी और साथ शंकराचार्य की जय घोष का नारा लगाते ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु के मीडिया प्रभारी अशोक साहू के निज निवास अशोक वाटिका पहुंचे, यहां निवास पर पंडित धर्मेंद्र शास्त्री व पंडित सुमित तिवारी द्वारा पादुका पूजन सम्पन्न कराया गया। वहीं स्वामीअविमुक्त नगर वासियों ने निवास पर पहुँचकर दिव्य दर्शन प्राप्त कर प्रसाद ग्रहण किया।
इस अवसर पर रतन साहू, शशिकांत केशरवानी, संतोष पांडेय, राजा द्विवेदी, आशीष तिवारी, अजय निर्मलकर, अजय साहू, सवल साहू, मनीष साहू, सुधीर केशरवानी सहित महिलाओं और युवाओं ने बड़ी संख्या में दर्शन लाभ लिया।
ततपश्चात लोहारा में राजा खड़गराज, देवदत्त दुबे के निवास पर पादुका पूजन संम्पन हुआ, वहां से खैरागढ़ प्रस्थान कर स्व राजा देवव्रत सिंह के निवास पर पादुका पूजन संम्पन होने के बाद श्री शंकराचार्य जन कल्याण न्यास में प्रमुख ट्रस्टी चंद्रप्रकाश उपाध्याय के कवर्धा स्थित शांतिदीप कॉलोनी में विशेष महालक्ष्मी पूजन किया। इस दरमियान जगद्गुरु शंकरा भवन में दर्शन करने पहुंचे दर्शनार्थियों को खूब पटाखे आशीर्वाद स्वरूप दिए। वही शंकरा भवन के प्रांगण में भक्तों ने खूब आतिशबाजी की।
ततपश्चात जगद्गुरु द्वारा मध्यरात्रि में कालीमंदिर पहुंच के दर्शन कर पूजा अर्चना किया पुनः शंकरा भवन पहुंच विशेष महालक्ष्मी पूजा सुबह 4:30 बजे तक सम्पन्न कराई। वही पूरी रात जगद्गुरु के दर्शन के लिए दूर दूर से भक्त पहुंचते रहे, जिन्हें श्री चंद्रप्रकाश उपाध्याय जी के द्वारा विशेष सामाग्री से बने मिठाई का पाकिट प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं को दिया गया।
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