एक अकेला भी दुनिया बदल सकता है बशर्ते है कि उसके उद्देश्य पवित्र हों

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रायपुर।
एक अकेला भी दुनिया बदल सकता है। घर में, समाज में, शहर व प्रदेश, देश व विश्व में परिवर्तन ला सकता है। बशर्ते है कि उसके उद्देश्य पवित्र हों। वह ईश्वर का भय मानता हो और उसकी आज्ञाओं पर चलता हो।
चंडीगढ़ की जानी मानी प्रवचनकर्ता डॉ. नीतू. पी. चौधरी ने बैरनबाजार में सेंट जोसफ महागिरजाघर के सभागार में दिन दिनी प्रार्थना महोत्सव के समापन समारोह में ये बातें कहीं। प्रार्थना महोत्सव को पादरी सचिन क्लाइव अजमेर, आयोजक जीजस काल्स के डॉ. आशीष चौरसिया, मुरादाबाद के पास्टर मैसी, मुख्य अतिथि जॉन राजेश पॉल ने भी संबोधित किया। मैसी ब्रदर्स ने आत्मा से परिपूर्ण होकर भजन व गीत प्रस्तुत किए।
डॉ. चौधरी ने उन लोगों की हौसला अफजाई की जो अकेले दम पर अपने उद्देस्यों व सिद्धांतों पर अडिग रहते हैं। वे गलत कामों में अन्य लोगों का साथ नहीं देते। डॉ. चौधरी ने कहा कि एक अकेला भी बदलाव ला सकता है। उन्होंने पवित्र धर्मशास्त्र बाइबिल से गिदोन, नूह, डेविड जैसे किरदारों के प्रसंग का जिक्र करते हुए इसे समझाया। उन्होंने कहा कि जब पृथ्वी पर पाप बढ़ गए तब परमेश्वर सृष्टि व मनुष्य की रचना करके पछताया। तब उन्होंने पृथ्वी को मिटा देने का विचार किया। लेकिन उन्हें पता चला कि नूह अब भी ईमानदारी व कर्तव्यपरायणता के साथ परमेश्वर के बताए रास्ते पर घराने समेत चल रहा है, तो उन्होंने नूह को पानी का जहाज बनाने का निर्देश दिया। यह भी कहा कि उसके परिवार के साथ वह हरेक प्रजाति के जीव, जंतु, पेड़- पौधों को भी जहाज में तय समय पर रख ले। लोग नूह का मजाक उड़ाते थे कि पानी तो है नहीं वह जहाज कहां चलाएगा। नूह ने वैसा ही किया जैसा परमेश्वर ने कहा था। निश्चित वक्त पर पृथ्वी पर पानी बरसा और केवल नूह व उसका परिवार तथा जहाज में चढ़ाए गए जीव- जंतु ही बच सके। अकेले डेविड ने परमेश्वर के नाम से गोलियत को तब केवल गोफन के पत्थर से धराशायी कर दिया, जब पूरी सेना उससे टक्कर लेने में डरी हुई थी। ये उदाहरण है कि एक अकेला भी परमेश्वर की मदद से जय पा सकता है। गिदोन जैसे डरपोक को परमेश्वर के दूत ने शूरवीर की संज्ञा दी और उसने तीन सौ ऐसे लोगों की सेना खड़ी की जो दक्ष नहीं थे। परमेश्वर ने विरोधियों को उनके हाथ में कर दिया।
डॉ. चौधरी ने कहा कि आप भी जब अपने कार्यालय में वक्त पर जाते होंगे, घूस नहीं लेते होंगे, सिद्धातों पर चलते होंगे तब आपके साथ काम करने वाले आपकी हंसी उड़ाते होंगे। इससे निराश व हताश होने की जरूरत नहीं है। समाज के करप्ट सिस्टम से आप लड़ते रहें। एक अकेला प्रभु का भक्त, नेता, अफसर – कर्मचारी, जर्नलिस्ट, कारीगर, किसान, सोसायटी का मेंबर आदि कोई भी क्रांति ला सकता है। केवल उसे ऊश्वर की नजदीकी में चलने की आदत होनी चाहिए। प्रभु उसे हौसला देते हैं। ऐसी कई जीवंत सच्ची कहानियां- प्रसंग दुनिया में हैं।

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