वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की बेबाक कलम सीधे रस्ते की टेढ़ी चाल क्या कहूं क्या ना कहूं ये कैसी मुश्किल हाए कोई तो ऐसा मिले जो राहुल को पीएम बताए

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एक बहस के दम्र्यान कांग्रेस प्रवक्ता अजीब धर्मसंकट में पड़ गये। दरअसल एक टीवी बहस में एक छात्र ने पूछा कि आप लोग मोदी के विरोध में सब एकजुट होने का दम भरते हंै लेकिन क्या विपक्ष के पास प्रधानमंत्री पद का कोई चेहरा भी है। विपक्ष के पास तो प्रधानमंत्री का चेहरा नज़र नहीं आता।
इस विषय पर कांग्रेस प्रवक्ता चें-पें करने लगे और बोले मोदी के खिलाफ एक सौ चालीस करोड़ चेहरे हैं। जब एंकर ने बार-बार प्रधानमंत्री पद के चेहरे के बारे में पूछते हुए कहा कि ‘आप राहुल गांधी का नाम लेने से क्यांे सकुचाते हैं। क्या आप उन्हें प्रधानमंत्री बनने के लायक नहीं समझते ?’ तब कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा ‘हां राहुल गांधी प्रधानमंत्री बनने लायक हैं।’ फिर शायद उसकी ईमानदारी पर उसकी कांग्रेस के प्रति वफादारी हाॅवी हो गयी और वो जोर-शोर से राहुल गांधी की पैरवी करने लगा।

क्या मिला और क्या छपा कैसे कोई बताए

छापों से छपाई…. नया रायपुर में एक मध्यम वर्गीय परिवार के मकान में खुफिया सूचना के आधार पर पुलिस ने छापा मारा। पुलिस को पता चला था कि मकान में एक सौ चालीस करोड़ रूप्ये हैं। पुलिस भौंचक और चैकन्नी हा गयी। नतीजा, छापा। छापे का नतीजा… टांय-टांय फिस्स। मध्यमवर्गीय परिवार… पुलिस को मिला एक लाख। यानि मुहिम फेल। कुछ माह पहले एक व्यापारी से पचास लाख की लूट हुई थी, जिसमें पुलिस ने जप्ती किये केवल आठ लाख। यहां पर आमचर्चा यही रही कि पुलिस ने वसूल तो बहुत बड़ी रकम की पर माल अंदर हो गया। जैसे आम तौर पर जुआरी धरपकड़ में छापे पड़ने पर लाखों की जप्ती होती है और हजारों के कागज बनते हैं। यानि छापों से पुलिस अपने लिये भी छपाई का काम करती है।

चूहों का कमाल
थानों का हाल

किसी केस को कैसे कमजोर करना है और किसी अपराधी को कैसे कोर्ट से छुटकारा दिलाना है ये पुलिस अच्छी तरह जानती है। इसलिये वकील कितना भी अच्छा हो, पुलिस को सैट करना अतिआवश्क होता है। अब देखिये गांजा के मामलों में आरोपी आसानी से छूट जाते हैं। कारण कि थाने से लिखकर आ जाता है कि जप्त किया गया गांजा चूहे कुतर गये। बस आरोपी से जप्त गांजे का मिलान नहीं किया जा सकता लिहाजा शंका के आधार पर आरोपी को कोर्ट को छोड़ना पड़ जाता है। है न मजेदार। लेकिन कोर्ट भी कभी आदेश नहीं करते कि इस अव्यवस्था के लिये जवाबदार कौन है और जवाबदार के विरूद्ध कार्यवाही की जानी चाहिये।

खुशी का राज़…

’तुम कटहल भी खिलाती हो तो दोसा लगता है
कुंदरू की सब्जी चटनी समोसा लगता है’
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जवाहर नागदेव, वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, चिन्तक, विश्लेषक
mo 9522170700

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