कांग्रेस कार्यसमिति में मनोनयन का अधिकार राष्ट्रीय अध्यक्ष को

Estimated read time 1 min read

0-स्टियरिंग कमेटी का सर्वसम्मति से फैसला, महाधिवेशन में शुरुआती चर्चा, पार्टी संविधान में संशोधन का भी प्रस्ताव छत्तीसगढ़, रायपुर, आशीष शर्मा। छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर में चल रहे कांग्रेस महाधिवेशन में स्टेयरिंग कमेटी ने बड़ा निर्णय लिया है। कमेटी ने तय किया है कि, सीडब्ल्यूसी का चुनाव नहीं होगा। नेताओं का मनोनयन होगा। स्टेयरिंग कमेटी की बैठक में सीडब्ल्यूसी मैं मनोनयन के लिए एक लाइन का प्रस्ताव पास किया गया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को वरिष्ठ नेताओं से अटी पड़ी स्टेयरिंग कमेटी सीडब्ल्यूसी में नेताओं के मनोनयन का अधिकार दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी चाहते थे कि सीडब्ल्यूसी के सदस्य का चुनाव हो। बता दे कि,लोकसभा में पार्टी संसदीय दल के नेता और पार्टी अध्यक्ष सहित 25 नेता होते हैं सीडब्ल्यूसी में। कांग्रेस संसदीय दल के नेता और पार्टी अध्यक्ष भी सीडब्ल्यूसी के सदस्य होते हैं बाकी 23 नेताओं मैं 12 के चुनाव से आने की कांग्रेस संविधान में व्यवस्था है, जबकि शेष 11 नेताओं को कांग्रेस अध्यक्ष मनोनीत कर सकते हैं।
ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के 85वें राष्ट्रीय महाधिवेशन के पहले दिन राष्ट्रीय अध्यक्ष खड़गे की अध्यक्षता में स्टीयरिंग कमेटी की बैठक हुई। इसमें सीडब्ल्यूसी चुनाव एक बड़ा मुद्दा था, कांग्रेस के ज्यादातर वरिष्ठ नेता चुनाव के पक्ष में नहीं दिखे। युवाओं का रुझान चुनाव की ओर दिखा। हालांकि दिग्विजय सिंह और अजय माकन द्वारा चुनाव का समर्थन करने की बातें आ रही है आखिरकार सहमति नहीं बनने पर राष्ट्रीय अध्यक्ष को मनोनयन के लिए अधिकृत कर दिया गया।
स्टीयरिंग कमेटी की बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में एआईसीसी संचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने बताया कि ढाई घंटे की बैठक में सीडब्ल्यूसी के चुनाव, संविधान में संशोधन और महाधिवेशन में जिन विषयों पर चर्चा होगी, उन पर खुलकर बातचीत हुई। सभी सदस्यों ने खुलकर अपनी बात रखी। सीडब्ल्यूसी के चुनाव होने चाहिए तो क्यों होने चाहिए और नहीं होने चाहिए तो क्यों नहीं होने चाहिए, इस पर सभी सदस्यों ने अपनी बात रखी। इसके बाद सर्व सम्मति से यह निर्णय लिया गया है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष सीडब्ल्यूसी के सदस्यों का मनोनयन करेंगे।
जयराम रमेश ने कहा कि हमारा महाधिवेशन ऐसे दौर में हो रहा है, जब इस देश के सामने गंभीर चुनौतियां खड़ी है। लोकतंत्र और संविधान पर खतरा मंडरा रहा है। संसदीय संस्थाएं भी गंभीर संकट से जूझ रही है राजनीतिक गतिविधियों पर भी पहरेदारी हो रही है। इस नाते हमें बहुत सोच विचार कर तथ्यों के साथ अपने विचारों को आगे बढ़ाना है। क्योंकि इस महाधिवेशन पर पूरे देश की निगाहें लगी हुई है।
00000

You May Also Like

More From Author

+ There are no comments

Add yours