भूमाफिया व पंजीयक के गठजोड़ की कहानी भाग – 8

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0गोदनामा के बाद प्राकृतिक पिता के नाम का उपयोग आखिर क्यों ?
0दोहरी पहचान के पीछे आखिर क्या मंशा है भूमाफिया की ?
0पंकज और महावीर दोनो भाई है या मामा भांजा जांच का विषय
0तहसील कार्यालय में दायर प्रकरण में पंकज जैन दत्तक पुत्र स्वर्गीय दलीचंद बोथरा के नाम से उपस्थिति
0माननीय हाई कोर्ट छत्तीसगढ़ में दायर प्रकरण पंकज जैन पिता सम्पतराज जैन !
(चंद्र शेखर शर्मा)
कवर्धा – भूमाफिया बन्धुओ की पोल खोल अभियान से हड़बड़ाए भूमाफिया अब पत्रकार द्वारा लाभ चाहने की चाहत में फर्जी शिकायत कर रहे का आरोप लगा अपने आपको पाक साफ बताने का प्रयास कर रहे है । विदित हो कि हमने अभी तक भूमाफिया और उनके रिश्तेदारों की जमीन खरीदी में हुई गड़बड़ियों को लेकर दस्तावेज के साथ खबरे अपने पाठकों के साथ साझा की है ।
वर्ष 2005 में हुई एक रजिस्ट्री में पंकज जैन अपने आपको दत्तकपुत्र स्वर्गीय दलीचंद बोथरा बता कर लाल तालाब के नाम से मशहूर व वजीबुलर्ज में दर्ज तालाब को खरीदते है , इसके बाद के वर्षों में भी दलीचंद के पुत्र बन कर जमीनों के खरीदने का कार्य जारी है । आज भी कई रजिस्ट्री में दलीचंद बोथरा पिता के नाम की जगह दर्ज है , रजिस्ट्री में लगे पेन कार्ड में भी इसकी पुष्टि करते है । भूमाफ़िया पंकज जैन द्वारा एक ओर स्वयं को स्वर्गीय दलीचंद बोथरा का दत्तक पुत्र बताया जा रहा है दूसरी ओर कई रजिस्ट्री में पिता सम्पतराज जैन बता कर जमीनों की ख़रीदीं की जा रही । जिसकी पुष्टि जमीन की रजिस्ट्री में लगे आधार कार्ड से हो जाती है ।
पंजीयक कार्यालय में उप पंजीयक की मिली भगत के चलते पंकज जैन के आधार और पेन कार्ड में अलग अलग पिता का नाम दर्ज होने और इस बाबत शपथ पत्र दे कर पुष्टि करने के बावजूद ना तो गोदनामा की जांच की गई और पिता के नामो की भिन्नता के बावजूद रजिस्ट्री बड़े आराम से सम्पन्न हो रही है जिसके चलते उप पंजीयक कार्यालय की भूमिका संदिग्ध हो चली है कि कंही रिश्वतखोरी के आड़ में तो दस्तवेजो की कमियों के बावजूद रजिस्ट्री तो सम्पन्न नही की जा रही । उपपंजीयक कार्यालय कवर्धा की सन्दिग्ध भूमिका के चलते भूमाफिया बन्धुओ व इनके परिजनो व इनके रिश्तेदारों द्वारा अब तक की गई जमीनों की खरीदी बिक्री , दान पत्र , तबादलानामा की जांच आवश्यक हो चली है ।
यँहा बताना लाजमी होगा कि एसडीएम कार्यालय कवर्धा दिए एक में ब्यान के मुताबिक भूमाफिया पंकज जैन और महावीर जैन भाई भाई है कई रजिस्ट्री में दोनों के पिता का नाम समान है । माननीय हाई कोर्ट में दायर एक प्रकरण में भी पिता का नाम सम्पतराज जैन । दिसम्बर 22 में हुई एक जमीन की रजिस्ट्री के वक्त दिए गए शपथ पत्र के मुताबिक आधार कार्ड में पिता सम्पतराज जैन है इस हिसाब से दोनो भाई भाई हुए किन्तु दिसम्बर 22 में हुई एक जमीन की रजिस्ट्री के वक्त दिए गए शपथ पत्र के मुताबिक दत्तकपुत्र होने का दावा करते पिता दलीचंद बोथरा बताया गया है । इनके द्वारा कराए गए के रजिस्ट्री में पिता के नाम की जगह दलीचंद बोथरा लिखाया गया है । अब आधार कार्ड के आधार पर पंकज जैन और महावीर जैन भाई भाई है और पेनकार्ड और शपथ पत्र की माने तो गोदनामा के बाद मामा भांजा हो गए ।
लाभ के अनुसार रिश्ते बदलते रहते है भूमाफिया बन्धुओ के जिसकी पुष्टि जमीनों की रजिस्ट्री , तहसील एसडीएम और हाईकोर्ट में बताये गए पिता के नामो से होती है । जमीन की रजिस्ट्री के कागजात के आधार पर कभी भाई भाई का तो कभी मामा भांजा का रिश्ता बन जाता है । जबकि कानून के जानकार बताते है कि गोदनामा में जाने के बाद पुरानी सम्पत्ति से हक छूट जाता है और रिश्ते दत्तक ग्रहण पिता के आधार पर रिश्ते बदल जाते है । बावजूद दो दो पहचान रख कर सरकार और समाज को धोखा देना किसी सोची समझी साजिश का हिस्सा तो नही जांच का विषय है । भूमाफिया बन्धुओ के उप पंजीयक व पटवारी के साथ गठजोड़ को देखते इनके गोदनामा के शपथ पत्र और गोदनामा के कागजात की जांच जरूरी है कि आखिर कब गोदनामा हुआ ?आधार कार्ड कब बना ?पेन कार्ड कब बना , इनमें पिता का नाम अलग अलग क्यों और कैसे दर्ज हुआ ? गोदनामा के बाद क्या पुराना रिश्ता कायम रहा सकता है या रिश्तों के नाम बदल जाएंगे ? कही बेनामी सम्पत्ति का खेल तो नही ? जैसे सवालों की जांच जरूरी है ।
अलग अलग पिता के नामो और गोदनामा को लेकर जिले के सीनियर अधिवक्ता शेखर बख्सी का कहना है कि ” गोदनामा होने के बाद प्राकृतिक पिता का नाम समाप्त हो जाता है साथ ही उनकी सम्पत्ति से अधिकार भी समाप्त हो जाता है और रिश्ते भी दत्तक ग्रहण पिता के आधार पर बदल जाते है । ऐसे में अलग अलग पिता के नामो का उपयोग क़ानूनग गलत है कानूनी रूप से जांच का विषय है । वैसे जब तक दत्तक ग्रहण पंजीकृत न हो तब तक दत्तक नही माना जा सकता ।

आगामी अंक में – कैसे रिश्तों के मकड़ जाल में अधिकारियों को उलझा स्टाम्प ड्यूटी चुरा रहे भूमाफिया

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