सेवा के अंतिम पड़ाव में प्रशिक्षण के जबरिया आदेश से पुलिस विभाग के बुजुर्ग बाबू परेशान

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*प्रशिक्षण के दौरान महिला बाबू रिटायर हो गईं*

*गृहमंत्री से जिम्मेदार आला अधिकारियों पर कार्यवाही की मांग*

छत्तीसगढ़ पुलिस विभाग के लगभग ढाई सौ बाबू पीटीएस माना में बुनियादी प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। बुनियादी प्रशिक्षण में आए अधिकांश बाबू पचास वर्ष के ऊपर उम्र के हैं। उम्र के ढलान पर होने से शरीर शिथिल हो चुका है, शारीरिक लोच नहीं रहा। अधिकांश बाबू सुगर, बीपी,मोटापा, हार्ट, किडनी,लीवर के गंभीर रोगों से ग्रसित हैं तथा आंख भी कमजोर है।इसके बावजूद गंभीर बीमारी और बुढ़ापे से ग्रसित बुजुर्ग लिपिक और स्टेनो विवश होकर कठिन शारीरिक प्रशिक्षण को कर रहे है, जो वास्तव में जवानों को २० से २५ वर्ष की युवा अवस्था में दिया जाता है।परन्तु पुलिस विभाग के आला अधिकारियों ने जानबूझकर बिना सोचे समझे रिटायरमेंट कागार में पहुँच चुके अनेक लोगों को इस 3 महीने कड़ी प्रशिक्षण में अनुशासन का डर दिखा कर प्रदेश भर से सैकड़ों बाबुओं को पी टी एस माना रायपुर में रखा गया है। हद तो तब हो गया जब प्रशिक्षण में शामिल एक महिला बाबू प्रशिक्षण के दौरान ही 31 मार्च 23 को रिटायर हो गई और पुलिस प्रशासन को उन्हें लगभग 21 दिन पहले ही प्रशिक्षण से मुक्त करने मजबूर होना पड़ा।उक्त आरोप जारी संयुक्त विज्ञप्ति में राज्य कर्मचारी संघ छत्तीसगढ़ के प्रांताध्यक्ष अरूण तिवारी तथा महामंत्री ए के चेलक ने लगाया है और इसके लिये गृह मंत्री से जिम्मेदार आला अधिकारियों पर कार्यवाही की मांग की गई है।

जारी विज्ञप्ति में आगे बताया गया है कि पुलिस महानिदेशक द्वारा फरमान जारी किया गया है कि छत्तीसगढ़ पुलिस के समस्त अप्रशिक्षित लिपिकों एवं स्टेनो ग्राफरों को बुनियादी प्रशिक्षण कराया जाए। इस आदेश के परिपालन में पूरे छत्तीसगढ़ के विभिन्न इकाइयों से लगभग दो ढाई सौ अनुसचिवीय स्टाफ 23 जनवरी 23 से 22 अप्रैल 23 तक कुल 90 दिनों का बुनियादी प्रशिक्षण पीटीएस माना में प्राप्त कर रहे हैं, जो अब लगभग समाप्ति की ओर है, परन्तु उम्र दराज लिपिकों के प्रशिक्षण के औचित्य को लेकर पुलिस विभाग के अधिकारी ही आपस में चर्चा रहे हैं और दबी जबान से डीजीपी के आदेश को ग़लत बता रहे हैं। वर्तमान में लगभ 200 बाबू दाएं बाएं परेड करते हुए कानून और कार्यालयीन प्रक्रिया का तब प्रशिक्षण ले रहे हैं, जब वे व्यावहारिक ज्ञान और अनुभव प्राप्त कर चुके हैं, ऐसे लोगों के लिए शासकीय राशि के अपव्यय का क्या औचित्य है किसी को समझ नहीं आ रहा है। नियमतः परिवीक्षा अवधि के दो वर्ष के दौरान बुनियादी प्रशिक्षण कराया जाना चाहिए। ड्रिल मैनुअल एवम् कोषालय संहिता के अनुसार ४५ वर्ष से अधिक उम्र के लोगो को इस तरह का कठिन प्रशिक्षण दिया जाना नियमों का खुलेआम उलंघन है।
जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि प्रशिक्षण रत अनेक लिपिक ऐसे हैं जो आगामी एक माह से लेकर एक वर्ष के भीतर रिटायर हो जाएंगे। एक महिला मुख्य लिपिक श्रीमती अलका मालवीय तो प्रशिक्षण के दौरान ही 31 मार्च 23 को सेवा निवृत हो गई है, विकलांग कर्मचारियों को भी आवेदन और चिकित्सक का प्रमाणपत्र देने के बाद भी कोई राहत नहीं दी जा रही है। उम्र दराज प्रशिक्षार्थी आए दिन बीमार हो कर अस्पताल जा रहे हैं, जबकि पीटीएस में इस हेतु पर्याप्त चिकित्सा व्यवस्था न होने से बाहर अस्पताल जाना पड़ रहा है।

जारी विज्ञप्ति में आगे बताया गया है कि पीटीएस माना में 300 आरक्षकों को ट्रेनिंग देने कि व्यवस्था है, वहां पहले से ही लगभग 600 रिक्रूट प्रशिक्षण ले रहे हैं, वहां अब 200 और मिनिस्ट्रियाल स्टाफ को भी भेज देने से पीटीएस की व्यवस्था चरमरा गई है। नियमतः ट्रेनिग के लिए पुलिस अकादमी चंदखुरी में भेजना था। संसाधनों के अभाव से जूझ रहे पीटीएस में गंदे टायलेट के बीच बाबुओं को भेड़ बकरियों की तरह बेरेकों में ठूंस दिया गया है। कुक, नाई, धोबी, मोची और सफाई कर्मचारियों की कमी से पहले से ही जूझ रहे पीटीएस माना का प्रबंधन हाफते हुए किसी तरह बाबुओं की व्यवस्था मैनेज करने में लगे हैं और राम राम करते प्रशिक्षण पूरा होने की बाट जोह रहे हैं। इस व्यवस्था से पर्दे के पीछे रहकर पूरे छत्तीसगढ़ पुलिस की व्यवस्था सम्हालने वाले लिपिक एवं स्टेनो संवर्ग के कर्मचारी वर्ग में इस प्रशिक्षण को लेकर काफी असंतोष है, किन्तु अनुशासन के डंडे ने सबका मुंह बंद कर रखा है, बढ़ती उम्र में शारीरिक स्थिति का ध्यान नहीं रखने से वे दुखी हैं।

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