– धान खरीदी के पहले दिन कलेक्टर श्री पुष्पेंद्र कुमार मीणा पहुंचे कुथरेल और अंडा समितियों में धान खरीदी की व्यवस्था देखने, किसानों ने बातचीत में बताया
– डैमेज बारदानों का उपयोग नहीं करने के दिये निर्देश
– जिले में आज 189 किसानों ने 5739 क्विंटल धान बेचा
दुर्ग 01 नवंबर 2022/ धान खरीदी की व्यवस्था देखने कलेक्टर श्री पुष्पेंद्र कुमार मीणा ने आज कुथरेल और अंडा समितियों का निरीक्षण किया। यहां पर वे धान बेचने आये किसानों से मिले। किसान गौकरण साहू से कलेक्टर ने अंडा में बातचीत की। श्री साहू ने बताया कि इस बार सरकार ने हम किसानों के लिए बहुत अच्छा फैसला किया है। 1 नवंबर से धान खरीदी होने की वजह से अर्ली वैरायटी का धान लगाने वालों को बहुत राहत मिली है। इससे पहले विलंब से धान खरीदी होने की वजह से अर्ली वैरायटी वालों को दिक्कत आती थी। किसान ने बताया कि टोकन बढ़िया कट गया। पहले ही दिन धान खरीदी के लिए पहुंच गये। अब कोई दिक्कत नहीं। जितना देर से बेचोगे, भीड़भाड़ होगी। गौकरण ने बताया कि एक महीने का अतिरिक्त समय मिलने से धान का उठाव होने में भी समस्या नहीं होगी। किसानों की भीड़भाड़ भी नहीं होगी।
डैमेज बारदाने उपयोग में न लाएं- कलेक्टर ने बारदाने भी देखे। समिति प्रबंधक ने कुथरेल में बताया कि पर्याप्त संख्या में बारदाने मौजूद हैं। कलेक्टर ने कहा कि सभी बारदाने अच्छी स्थिति में होना चाहिए। डैमेज बारदाने का उपयोग नहीं करें। डैमेज बारदानों के उपयोग से काफी नुकसान होता है। उन्होंने बारदानों की स्थिति भी देखी। कलेक्टर ने धान खरीदी केंद्र में तौल, नपी मापक यंत्र, रजिस्टर वगैरह देखे और उठाव तथा स्टैकिंग वगैरह के संबंध में आवश्यक निर्देश दिये।
किसानों के लिए धान खरीदी केंद्र में सुविधा भी देखी- किसानों के लिए सभी खरीदी केंद्रों में खास सुविधा देने के निर्देश दिये गये हैं। उनके बैठने के लिए सुविधापूर्ण जगह के साथ ही पेयजल आदि की व्यवस्था के भी निर्देश दिये गये हैं। कुथरेल और अंडा दोनों ही समितियों में कलेक्टर ने इन सुविधाओं का निरीक्षण किया। कुथरेल में कलेक्टर बचत बैंक भी पहुंचे। वहां पर भी उन्होंने किसानों से चर्चा की।
247 किसानों ने कटाया था टोकन, 189 किसानों ने बेचा धान- जिला खाद्य नियंत्रक श्री दीपांकर ने बताया कि आज जिले भर में 189 किसानों ने अपना धान बेचा। यह धान 5739 क्विंटल था। 247 किसानों ने अपना धान बेचने टोकन लिया था। इसमें कुछ धान बेचने नहीं आ पाये और कुछ किसानों के धान में माइस्चर काफी ज्यादा था। उन्हें थोड़ा सूखाकर लाने कहा गया।
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