80 से लेकर 160 रुपये में बिक रहा मिट्टी का घड़ा,न्यायधानी में हर साल बढ़ रही मांग

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बिलासपुर। गर्मी का असर तेज होते ही ठंडे पानी की ललक बढ़ जाती है। ऐसे में गले को तर करने के लिए देशी फ्रीज यानी मिट्टी के घड़े और सुराही आदि की मांग बढ़ जाती है। न्यायधानी में इस साल भी जबरदस्त डिमांड बनी हुई है। बाजार में 80 से लेकर 160 रुपये में घड़ा और सुराही बिक रहा है। कोरोना महामारी के बाद से गरीब हो या अमीर सभी के बीच ठंडे पानी के लिए मिट्टी के मटके और सुराही की मांग बढ़ गई है। बाजार सहित सड़कों के किनारे जगह-जगह घड़े और सुराही की दुकानें सजी हैं। लोग खरीदारी भी कर रहे हैं। फ्रीज या कूलर की बिक्री में बढ़ोतरी हो या ना हो, लेकिन मिट्टी से बने बर्तनों की बिक्री में अच्छी-खासी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। बड़ी संख्या में लोग फ्रीज का ठंडा पानी नहीं पीते। उन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्या होती है। ऐसे लोग गर्मी से राहत के लिए मिट्टी के बर्तनों का ही सहारा लेते हैं। इन दिनों अप्रैल माह में ही सूर्य की तपिश ने आम लोगों का जीना मुहाल कर रखा है। बिलासपुरवासी गर्मी से बचने के लिए लोग हर विकल्प की तलाश में रहते हैं। इन्हीं विकल्पों में से एक मिट्टी का घड़ा और सुराही है। मिट्टी के घड़े का क्रेज यह कि सुविधा संपन्न व्यक्ति भी घर में फ्रीज रहते हुए भी घड़े के पानी को ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं। वजह सिर्फ इतनी है कि घड़े के पानी से गर्मी में कोई साइड इफेक्ट नहीं होता। ऊपर से सोंधी खुशबू के बीच घड़े का एक गिलास पानी गले को एक अलग ही प्रकार की ठंड का अहसास कराता है। कुम्हार संतोष प्रजापति का कहना है कि गर्मी बढ़ने के साथ ही घड़े व सुराही की बिक्री में तेजी आई है। शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग काफी संख्या में घड़े खरीदकर ले जा रहे हैं। अक्षय तृतीया के बाद से बिक्री हर साल और बढ़ जाती है। वैसे तो सामान्य रूप में 80 से लेकर 160 रुपये में घड़ा या सुराही बिक रहे हैं। हालांकि मध्य प्रदेश के चंदिया और राजस्थानी मटके भी आ चुके हैं। नल सहित अलग-अलग डिजाइन में उपलब्ध हैं। इनका रेट भी अलग-अलग है।

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