छत्तीसगढ़ में बस्तर संभाग सहित दंतेवाड़ा जिले में इस मानसून अच्छी बारिश नहीं हुई है। ऐसे में किसान भी काफी परेशान हैं। जिले में अच्छी बारिश के लिए ग्रामीणों ने अब आस्था का सहारा लिया है। इंद्रदेव को मनाने के लिए लगभग 85 गांव के लोगों ने उदेला की पहाड़ी पर देव भीमसेन के पत्थर को हिलाया है। हालांकि, इससे पहले ढोल-नगाड़े के साथ पूरे विधि-विधान से पूजा अर्चना की। फिर शिला को हिला कर सालों पुरानी परंपरा निभाई।
उदेला की पहाड़ी पर स्थित देव भीमसेन का असली नाम भीमचंद है। लेकिन इलाके के ग्रामीण इन्हें भीमसेन के नाम से ही पूजते हैं। ग्रामीणों का मानना है कि देव शक्तियों से ही पत्थर को हिलाया जाता है। सामान्य रूप से कितना भी बल लगा लें लेकिन पत्थर एक इंच भी नहीं हिलता है। पुजारी बतातें हैं कि, पूर्वजों के समय से ही बारिश के लिए भीमसेन पत्थर को हिलाने की परंपरा शुरू हुई थी। वे पुरानी परंपरा को बनाए रखे हैं। हालांकि भीमसेन देव का पूरा इतिहास ग्रामीणों को भी नहीं मालूम। केवल देव पर उनकी आस्था है।
तेवाड़ा गांव में भीमसेन पत्थर है जिसे देव के रूप में लोग पूजते हैं। इस पत्थर से सैकड़ों गांव के हजारों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। ग्रामीणों ने एक बार फिर करीब 52 साल पुरानी परंपरा को निभाई है। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से इंद्रदेव खुश होते हैं और बारिश अच्छी होती है।
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